माँ छिन्नमस्तिका

माँ छिन्नमस्तिका, दस महाविद्याओं में से एक अत्यंत रहस्यमयी और शक्तिशाली देवी हैं। यह देवी केवल उग्र रूप की प्रतीक हैं, बल्कि आंतरिक आत्मबोध, चेतना जागरण और भौतिक आध्यात्मिक बाधाओं के नाश की अधिष्ठात्री देवी भी हैं। उनका नाम ही स्वयं कहता हैछिन्न यानी कटा हुआ, और मस्ता यानी मस्तक। यह रूप आत्मत्याग, आत्मबलिदान और आध्यात्मिक ऊँचाई का प्रतीक है।

माँ  छिन्नमस्तिका उन भक्तों की रक्षा करती हैं जो जीवन में बारबार असफलताओं, चिंता, डर, गुप्त शत्रु, कोर्टकचहरी के मामलों, आर्थिक संकट या प्रेम संबंधों में रुकावटों का सामना कर रहे हैं। इस सिद्ध पूजन के माध्यम से भक्त देवी का आह्वान करते हैं ताकि वे उनके जीवन की हर जटिलता को समाप्त करें और शुभ मार्ग प्रशस्त करें। 

यह पूजन खासतौर पर उन लोगों के लिए है जिन्हें लगता है कि उनके जीवन में कुछ अदृश्य शक्ति बाधा डाल रही हैजैसे कि बारबार की असफलता, रिश्तों में तनाव, मानसिक बेचैनी, निर्णय ले पाना, नींद में डरावने सपने, अथवा अचानक आई आर्थिक समस्याएँ।

देवी छिन्नमस्तिका की पूजा तांत्रिक मार्ग से जुड़ी है, लेकिन यह पूजा पूरी तरह से शुद्ध, सात्विक और ब्राह्मणों द्वारा वैदिक विधि से संपन्न कराई जाती है। इसमें किसी प्रकार की नकारात्मक प्रक्रिया नहीं होतीकेवल मंत्र शक्ति और श्रद्धा का योग होता है।

यह सिद्ध पूजन अनुभवी विद्वान ब्राह्मणों द्वारा, आपकी समस्या के अनुसार, शास्त्र सम्मत और पूर्ण गोपनीयता के साथ कराया जाता है। प्रत्येक पूजन व्यक्तिगत होता है, जिसमें भक्त का नाम, गोत्र और उद्देश्य ध्यान में रखकर विशेष आह्वान मंत्रोच्चारण होता है।

 माँ छिन्नमस्तिका की पूजा सिर्फ एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक शक्ति हैजो जीवन की उलझनों को काटती है, मन की ग्रंथियों को खोलती है और आत्मा को नया तेज देती है।

खास पूजन विधि

प्रेम-विवाह बाधा निवारण पूजा
शत्रु नाशक अनुष्ठान
कुंडलिनी जागरण साधना
माँ छिन्नमस्तिका सर्वसिद्धि
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